हिन्दू और जैन धर्म की किसी भी पूजा, कथा, पूजन अथवा अभिषेक में प्रसाद के रूप में पाँच सात्विक तत्वों से बने जिस स्वादिष्ट मीठे दूध को पुजारी या पंडित जी द्वारा बांटा जाता है उसको चरणामृत (पंचामृत) कहते हैं।
जन्माष्टमी के अवसर पर भगबान कृष्ण को पहला भोग चरणामृत का ही लगाया जाता है। जन्माष्टमी के प्रसाद में सभी भगतों में चरणामृत को जरूर बाँटा जाता है। संस्कृत भाषा के अनुसार, शब्द ‘पंच’ का अर्थ है ‘पाँच’ और ‘अमृत’ का अर्थ है ‘देवताओं का अमृत’। पारंपरिक रूप से पंचामृत पाँच चीजों गाय का दूध, दही, शहद, तुलसी की पत्ती और गुड़ से बनाया जाता है। अपने विशिष्ट औषधीय आयुर्वेदिक गुणों के कारण इसको अमृत के समान माना गया है। जबकी चरणामृत में इन प्रमुख पाँच चीजों के अलावा गंगा जल, मखाने, चिरोंजी या स्वादानुसार अन्य फल भी डाले जा सकते है। दक्षिण भारत में तमिलनाडु के पलानी मुरूगन मंदिर में केला, खजूर, इलायची, शहद और मिश्री को नारियल के पानी में मिला कर बनाये गये पंचामृत को प्रसाद की तरह बाँटा जाता है। चरणामृत को तमिल,तेलगू, बंगाली और इंग्लिश भाषा में चरणामृत ही बोला जाता है। आपको जन्माष्टमी का प्रसाद अमृत जैसे स्वाद वाले चरणामृत – पंचामृत को बनाने की सामग्री, बनाने की विधि और उपयोगी सुझाब सरल भाषा में चित्रों के साथ बता रहे हैं.. चरणामृत बनाने की सामग्री:-
- ताजा दूध – 500 ग्राम
- चीनी (पाउडर) – स्वादानुसार
- चिरौंजी – 10 ग्राम
- मखाने (छोटे टुकड़ों में) – 20 ग्राम
- तुलसा जी के पत्ते – 8-10
- शहद – 10 चम्मच
- गंगाजल – 2 चम्मच
- शुद्ध देसी घी (मेल्ट किया हुआ) – 1 चम्मच
- दही – 150 ग्राम
चरणामृत बनाने की विधि:-
एक बर्तन में कच्चा दूध पलट लीजिये।
दूध में शहद मिला लीजिये।
इसी दूध में शुद्ध घी और चिरोंजी को डाल कर अच्छे से मिक्स कीजिये।
तैयार मिक्स्चर में मखाने, गंगा जल और दही मिला कर अच्छे से चला लीजिये।
तैयार चरणामृत में तुलसा जी की पत्तियों को ऊपर से डाल दीजिये। जन्माष्टमी की पूजा हेतु भगवान के भोग प्रसाद या अभिषेक के लिये पंचामृत – चरणामृत तैयार है।
उपयोगी सुझाब:
चरणामृत को ताजा बना कर ही भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।
चरणामृत में स्वादानुसार किसी भी मेवा को भून कर भी डाला जा सकता है।
आप मखानों को काट कर या साबुत कैसे भी चरणामृत में डाल सकते है।
चरणामृत को स्किन क्लींजर के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि पंचामृत मस्तिष्क के विकास में मदद करता है। यह रोग प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और शारीरिक विकास में मदद करता है।
पंचामृत का नियमित सेवन त्वचा को पोषण देता है और बालों को स्वस्थ और काला बनाए रखता है।
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की, प्रसाद बनाकर धन्य हुए !